Moral story नैतिक कहानी पढ़ना सभी को अच्छा लगता है, एक तो इसमें सामाजिक और नैतिक ज्ञान होता है और साथ ही इससे हमें जानकारी भी प्राप्त होती हैं, खासकर बच्चों को। Moral story शिक्षा भी मिलती हैं। तो हम आज ऐसे ही प्रेरणा दायक कहानी आप लोगों के साथ शेयर कर रहे हैं। आशा करता हूं कि यह आपको पसंद जरूर आएगा। अगर यह पसंद आए तो इसे और लोगो तक शेयर जरूर करें।
जीवन में संगती का महत्व - A short Moral story in hindi for every one
एक समय की बात है। एक आश्रम में कुछ शिष्य रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस आश्रम के गुरुजी, शिष्यों को प्रतिदिन नई-नई शिक्षा देते थे। एक दिन गुरुजी अपने शिष्यों को जीवन में अच्छी संगति और बुरी संगति के महत्व के बारे में बता रहे थे। वह बता रहे थे कि अगर आप अच्छी संगति करेंगे तो अपने अच्छे संस्कार आएंगे। और अगर आप बुरे लोगो के साथ रहेंगे तो आपमें बुरी आदत आने लगेंगे।
गुरुजी की बातो को शिष्य समझ नहीं पा रहे थे। तब गुरु जी ने बगीचे में लगे फूलों को देखा, तो गुरुजी ने एक शिष्य को उस फूल के नीचे की मिट्टी को लाने को कहा। फिर एक शिष्य ने फूल के नीचे से मिट्टी लाया। तब गुरु जी ने उस शिष्य को उस मिट्टी को सूंघने को कहां। जब शिष्य ने उस मिट्टी को सूंघा, तो उसमे से फूल की बहुत अच्छी सुगन्ध आ रही थी। फिर वह शिष्य ने गुरु जी से इसके बारे में बताया।
फिर गुरु जी ने शिष्य से पूछते है कि इस मिट्टी में फूलों की सुगंध क्यों आ रही है। तब सभी शिष्यों ने स्वयं ही बताया कि इस मिट्टी में खुशबू आने का कारण उस स्थान पर लगे फूलों के गिरने के कारण ही वहां के मिट्टी में भी खुशबू आ जाती हैं। ठीक इसी प्रकार जब हम अच्छी संगति करते हैं तो हममें अच्छे संस्कार आते हैं। भी बुरी संगति करते हैं तो हममें बुरी आदत आ जाती हैं। इसलिए हमेशा अच्छी संगति करना चाहिए।
शब्द का प्रभाव - moral story in hindi for every one
एक बार एक सज्जन के घर रात में एक चोर घुस आया। वह चोर उनके रसोई घर में कुछ चोरी कर रहा था। अंधेरा होने के कारण उस चोर को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जिससे उसके पैर से एक बर्तन टकरा कर गिर पड़ा और तेज से आवाज करने लगा। जिससे वह सज्जन और उनकी पत्नी जाग जाते हैं। और उनकी पत्नी चोर-चोर चिल्लाने लगती। तब उस सज्जन ने अपनी पत्नी को डांटते हुए कहा! चुपरहो वह कितना गरीब होगा तभी वह इतनी रात को चोरी करने आया होगा। उस चोर से ज्यादा तो तुम कंजूस हो। वह चोर रसोई घर में है जरूर उसे भूख लगी होगी जिस कारण से वह कुछ खाने का सामान ले रहा होगा। दरअसल वह चोर एक सोलह साल का लड़का था और अनार्थ था। उसके पास पैसे नहीं थे। और वह कई दिनों से भूखा था। जिस कारण वह कुछ खाने का सामान ले रहा था। वह लड़का, उस सज्जन की बात सुनकर अंधेरे में एक कोने में छिप जाता है। उस सज्जन व्यक्ति के शब्द जैसे उस लड़के के ऊपर जादू कर गया। लड़के को बहुत आत्मग्लानि हुई कि उसने व्यर्थ ही एक सज्जन के घर चोरी कर रहा हूं। वह तुरन्त ही उस सज्जन के सामने आया और उनके चरणों में गिर गया और क्षमा मांगने लगा। तब उस सज्जन ने उस लड़के से चोरी करने का कारण पूछते है। फिर वह लड़का अपनी सारी समस्या उन्हें बताया है। उस सज्जन व्यक्ति के पास कोई पुत्र नहीं था। इसलिए उस लड़के को वह गोद ले लेते हैं। और उसे एक अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाकर एक पिता की तरह उसका देखभाल करने लगे। अब वह लड़का सभी बच्चो की तरह एक सामान्य जीवन जीने लगा
मेरे दो अनमोल रत्न - best short story in hindi
एक समय की बात है। एक व्यापारी अपना माल बेचने के लिए नगर गया था। वह अपना माल बेचकर अपने गांव की ओर चल दिया। गांव की ओर आते समय उसे एक घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता था। जंगल बहुत घना था। इसलिए वह व्यापारी अपना रास्ता भूल गया। काफी दूर चलने के बाद वह थक चुका था और उसे बहुत भूख प्यास भी लग गई थी। वह पानी की तलाश में काफी दूर तक चला लेकिन उसे पानी नहीं मिला। अब वह पूरी तरह थक चुका था। अब उसमें और आगे बढ़ने की शक्ति नहीं थी। इसलिए वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा। तभी उस रास्ते से दो बच्चे गुजर रहे होते हैं, वे दोनों बच्चेेे उस यात्री को देेेखकर उसके पास जाते हैं। और देेखते है कि यात्रि काफी थक चुका है, और प्यासा भी है। उनके पास जो थोड़ा पानी था उस यात्री को दे देते हैं यात्री पानी पीकर उन दोनों बच्चों का धन्यवाद करता है और उनसे करता है! तुमने मेरा जीवन बचाया है इसलिए मैं तुम्हें कुछ सोने के सिक्के देता हूं इसे तुम रख लो। बच्चों ने कहा! धन्यवाद श्रीमान यह तो हमारा कर्तव्य था। भगवान तुम्हारा भला करे यात्री ने कहा। अब दिन बीत गया चारों तरफ अंधेरा छाने लगा। यात्री किसी पनाह की तलाश कर रहा था, तभी उसे एक गांव में दूर से उसने एक मंद रोशनी देखी। वह एक बूढ़ी औरत का घर था। यात्री उस घर के पास जाता हैं, दरवाजे पर दस्तक देता है। बूढ़ी औरत ने यात्री का स्वागत किया और उसे खाने के लिए भोजन और पनहा दिया। यात्री ने उसकी बुरी अवस्था देखकर उस बूढ़ी औरत को कुछ धन लेने का प्रस्ताव दिया। बूढ़ी औरत वह धन लेने से मना कर देती है। और बोलती है! श्रीमान मैं बिल्कुल भी गरीब नहीं हूं मेरे पास दो अनमोल रत्न है।
जब वे दोनों यह बात कर रहे होते हैं तभी दो बच्चे अपने हाथों में लकड़ी का गट्ठर लिए झोपड़ी के अंदर आते हैं बूढ़ी औरत बोली श्रीमान यह है मेरे दो अनमोल रत्न।
उन दोनों बच्चों को देखते ही यात्री ने कहा! ओह यह बच्चे मैं इनसे जंगल में मिला था इन्होंने मेरा जीवन बचाया है। सचमुच यह आपके दो अनमोल रत्न है आंखों में खुशी के आंसू लिए जाते ने कहा।
समस्या के समाधान पर ध्यान हो केंद्रित - Short story should be focused on solving the problem in Hindi
एक व्यक्ति अपनी समस्याओं से काफी परेशान था। इसलिए वह इन समस्याओं के हल के लिए वह अपने गुरु के पास जाता है। तो गुरुजी उसके आने का कारण पूछते हैं। वह व्यक्ति अपनी समस्याओं से काफी विचलित था वह गुरु के समक्ष अपनी समस्याओं का सारा पिटारा खोल कर बैठ गया। घरेलू समस्या व्यापार समस्या और ना जाने कितने समस्याए उन्हें बता डाली। गुरुजी उस व्यक्ति की सारी समस्याएं सुनते रहे। और वह व्यक्ति अपनी सारी समस्या गुरु के समक्ष कह डाली और कह कर चुप हो गया। फिर गुरु जी बोलते हैं तुम काफी दूर से आए हो और थक गए हो रुको मैं तुम्हारे लिए पानी मंगवाता हूं। गुरुजी एक शिष्य से पानी मंगवाते हैं। और उस व्यक्ति को एक गिलास पानी पिलाते हैं। वह व्यक्ति पानी पीकर गिलास रखने जाता है, तभी गुरु जी उस व्यक्ति से कहते हैं! अगर तुम इस ग्लास को दस मिनट हाथ में ही पकड़े रहो तो क्या होगा? वह व्यक्ति बोला कुछ नहीं होगा। फिर गुरु जी कहते हैं अगर तुम इसे दो घंटे पकड़े रहो तो क्या होगा? वह व्यक्ति बोला हाथ में दर्द शुरू हो जाएगा।
फिर गुरु जी कहते हैं अगर तुम पूरे सात घंटे गिलास को उठाए रहो तो क्या होगा? मेरे हाथ का रक्त प्रभाव रुक जाएगा और दर्द बहुत बढ़ जाएगा वह व्यक्ति बोला।
फिर गुरु जी बोले! तो दर्द दूर करने के लिए तुम क्या करोगे, गिलास को जमीन पर रखना होगा व्यक्ति बोला।
गुरु जी बोलते हैं तुम भी अपनी सारी समस्याओं का बोझ उठाएं घूम रहे हो इसे भी तुम रख दो।
सीख - समस्याएं सबके पास होती है यह आप पर निर्भर करता है। कि आप उन्हें उठाएं घूमते हैं या उनका समाधान निकलते हैं।
दुलारा जैक - short moral story in hindi for children
एक व्यक्ति के सात बच्चे थे। उनमें से जैक सबसे छोटा तथा माता-पिता का दुलारा था। वह देखने में बहुत सुंदर था और बहुत बुद्धिमान भी था।
अधिक लाड़ प्यार के कारण वह बिगड़ गया। वह अपने भाइयों से हमेशा लड़ना, क्रोध दिखाना उसके लिए साधारण सी बात हो गई थी। छोटा होने के कारण सभी उसे अनदेखा करते रहें। जिसके कारण वह सब की अवज्ञा भी करने लगा।
एक दिन उसके पिताजी मेले में जाने की तैयारी कर रहे थे। तभी जैक ने आकर कहा, पिता जी, मुझे भी आपके साथ चलना है” उसके पिताजी ने मना करते हुए कहा, जैक बेटे मैं तुम्हें मेले में नहीं ले जा सकता, वहां बहुत भीड़ होगी और तुम खो सकते हो। जैक ने जिद करी, नहीं पिता जी, मैं अवश्य आपके साथ चलूंगा।
जैक के पिता बोले, ठीक है! मैं एक शर्त पर तुम्हें ले चलूंगा, तुम्हें मेरे साथ रहना होगा। यह कहते हुए पिताजी स्वीकृति दे दी।
अपनी गाड़ी में बैठ कर जैक अपने पिता के साथ बाजार चल पड़ा। अपने गांव के बाहर पहुंचने तक जैक आज्ञाकारी बन शांत बैठा रहा। गांव से बाहर निकलते ही वह गाड़ी से बाहर झांकने लगा। चलते-चलते वह जंगल पहुंचा। उसे पेड़ों को देखने में बहुत मजा आ रहा था। और वह अपना पैर लटकाकर बैठ गया।
अचानक गाड़ी में झटका लगा संतुलन बिगड़ा और जैक का पैर जमीन से टकराया अगले ही पल उसने स्वयं को जमीन पर पाया। गाड़ी आगे जा रही थी। वह पूरी शक्ति से “पिताजी रोकिए! पिताजी रोकिए! चिल्लाता हुआ गाड़ी के पीछे दौड़ रहा था। तेजी से दौड़ती गाड़ी के चलने की आवाज में उसके पिता ने उसकी आवाज नहीं सुनी।
दौड़ते-दौड़ते जैक थक गया और गाड़ी काफी दूर चली गयी। अब उसे भय सताने लगा। मन ही मन सोचने लगा, अब मैं पिताजी के पास कैसे जाऊंगा? मैं अपने गांव कैसे पहुंचूगा। मुझे पिताजी के साथ ही नहीं आना चाहिए था।
अब वह वापस जाने का निर्णय लिया। इधर उसके पिताजी गाड़ी में जा को ढूंढते हैं। तो वह उन्हें नहीं मिलता। फिर वह वापस जैक को ढूंढने के लिए आते हैं। अब जैक वापस अपने गांव की ओर आ रहा था। जंगल काफी घना था। उनमें कई खतरनाक जानवर रहते थे। तभी उसे 3-4 लोमड़ी को देखा जो काफी खतरनाक थे। जंगली लोमड़ी जैक को देखकर उस पर हमला कर देते हैं।
वह जान बचाने के लिए भागता है। तभी उसके पिताजी गाड़ी लेकर आ जाते हैं। उनके साथ और भी लोग रहते हैं। वह जैक को देखते हैं जो लोमडीयो से जान बचाने के लिए भाग रहा है। तभी उसके पिता और उनके साथ और लोग डंडे लेकर जैक को लोमडीयो से बचाने के लिए आते हैं।
अब लोमड़ी कई लोगों को देखकर वहां से भाग खड़े होते है।
अब जैक अपने पिता को धन्यवाद करता है। और वादा करता है, कि अब वह सदा उनकी आज्ञा का पालन करेगा।
समय का सदुपयोग - a short moral story on time in hindi for class 10
सृष्टि और सोनू दोनों भाई और बहन है। सृष्टि एक मेहनती और होशियार लड़की है। वह अपना काम हमेशा तय समय पर करने में विश्वास रखती है। जबकि सोनू को अपने काम को टालने की आदत है। वह सोचता है कि कल कर लूंगा अभी तो बहुत समय बाकी है।
ऐसे ही एक दिन सृष्टि अपना स्कूल का होमवर्क पूरा कर रही थी तभी सोनू बाहर से खेल कर आता है, तो सृष्टि उससे पूछती है सोनू क्या तुमने अपना होमवर्क पूरा कर लिये हो, तब सोनू बोला अभी तो बहुत समय बाकी है मैं बाद में कर लूंगा। यह कहकर सोनू टीवी देखने चला जाता है। फिर रात को जाती है सोनू खाना खा कर सो जाता है, और अपना होमवर्क भी पूरा नहीं करता है। अगले दिन जब वह स्कूल जाता है, तो उसे टीचर के द्वारा खूब डांट पड़ती है। लेकिन टीचर की डाट का सोनू पर कोई भी असर नहीं पड़ता है। वह ऐसे ही स्कूल में आता और खेलता और रात को सो जाता। कुछ ही दिनों बाद उसका एग्जाम का समय नजदीक आ जाता है।
वही सृष्टि खूब मन लगाकर पढ़ती है। जबकि सोनू केवल खेलने में ही अपना समय गवा देता है।
ऐसे ही एक दिन उसके माता-पिता सोनू से कहते हैं। सोनू बेटा देखो अब तुम्हारा एग्जाम नजदीक आ गया है। तुम्हें भी सृष्टि की तरह खूब मन लगाकर पढ़ो तभी तुम्हारा एग्जाम में नंबर अच्छे आएंगे। तब सोनू बोलता है, पापा अभी तो परीक्षा में पांच दिन बाकी है, मैं बाद में पढ़ लूंगा। ऐसा कहकर सोनू खेलने चला जाता है। ऐसे ही करते-करते परीक्षा में केवल एक दिन बाकी रह जाता है। लेकिन सोनू अभी तक कुछ भी नहीं पढ़ा था। फिर भी वह खेलने के लिए चला जाता है। और अपनी बहन से कहता है आओ देखो बाहर का मौसम कितना अच्छा है, खेलने में मजा आएगा। तब सृष्टि बोली नहीं-नहीं कल परीक्षा है, अभी मुझे पूरा पाठ याद करना है। ऐसा कहकर सृष्टि पढ़ने में लग जाती है। और फिर सोनू के खेलने चला जाता है। कुछ समय बाद तेज हवा चलने लगती है। आसमान में बादल छा जाते है मानो बारिश होने वाली हो।
यह देखकर सृष्टि समझ जाति है कि बारिश होने वाली है। और बारिश के समय अक्सर बिजली कट जाती हैं। इसलिए सृष्टि ने सोनू से बोलती है। सोनू देखो मौसम खराब हो रहा है। लगता है बारिश होगा आकर अपना पाठ पढ़ लो नहीं तो बिजली चली जाएगी।
लेकिन सोनू खेलता रहा कुछ समय बाद बारिश होने लगती है। जिससे वहां की बिजली भी कट जाती है। फिर सोनू घर आता है और देखता है बिजली चली गई यह देखकर सोनू रोने लगता है कि मैं अब अपना पाठ कैसे याद करूंगा कल मेरा एग्जाम है। तब सोनू के पिता करते हैं। इसीलिए हम लोग तुम्हें समझा रहे थे। लेकिन तुम आजकल करके टालते रहे। अब कल ही तुम्हारा पेपर है एक दिन में क्या-क्या पढ़ोगे।
फिर सृष्टि ने सोनू से बोलती है। अब रोओ! मत मैं तुम्हें कल के पेपर के विषय में समझा देती हूं। मैं अपना सरा पाठ याद कर ली हूं। फिर सृष्टि सोनू को कल के पेपर के विषय सब कुछ समझा देती है। फिर दोनों अगले दिन खुशी-खुशी परीक्षा देने जाते हैं।
अब सोनू की टालने की आदत खत्म हो जाती हैं। वह भी सृष्टि की तरह समय से खाना पढ़ना सभी कर समय से करने लगता है।
जीवन में खुश कौन है प्रेरणा दायक कहानी - Jovan me kush kaun Prerna dayak Kahani
किसी समय जापान में एक कुशल कारीगर पत्थर काटकर अपनी जीविका चला करता था। वह प्रतिदिन पहाड़ पर जाता पत्थर के बड़े-बड़े पटरे काटता और नीचे लाकर उन्हें अच्छे मूल्य में बेच देता था। अपना घर बनाने के लिए लोग उन पत्थरों के पटरो को खरीदा करते थे। गांव वाले उसे बहुत पसंद करते थे।
किंवदंती थी कि पहाड़ पर एक परी रहती है जो कि जरूरतमंदों की इच्छा पूरी करती हैं। पर इस संगतराश (पत्थर काटने वाले) ने उस परी को कभी नहीं देखा था। अत्यधिक परिश्रमी और संतोषी होने के कारण परी से मिलकर कुछ मांगने की इच्छा भी नहीं थी।
अपने गांव के एक धनी व्यक्ति के लिए एक दिन संगतराश पर्वत पर पत्थर काट रहा था। गर्मी कुछ ज्यादा ही थी जिससे थकान के कारण काम करना कठिन हो रहा था। काटते-काटते वह सोचने लगा, “उसका काम कितना कठिन है.. यदि वह भी धनवान होता तो उसे इस गर्मी में इतना कठिन परिश्रम नहीं करना पड़ता।” उसी समय उसे एक आवाज सुनाई दी, प्रिय मैंने तुम्हारी इच्छा जान ली है। तुम धनवान हो जाओगे।
चौंककर संगतराश ने इधर उधर देखा। उसे कोई भी दिखाई ना दिया। इसे अपना भ्रम समझकर थकान के कारण काम छोड़कर वह घर चला आया। घर पहुंच कर उसे लगा कि वह किसी गलत स्थान पर आ गया है। उसके लकड़ी के घर की जगह सुनहरा घर खड़ा था। घर के भीतर के उपकरण भी स्वर पत्र से अच्छादित थे। अंततः उसकी धनवान बनने की इच्छा पूर्ण हो गई थी। प्रसन्नता के कारण वह मूक हो गया था। धीरे-धीरे सहज होकर अपने सारे पुराने परिश्रम वाले दिन भुलाकर नया जीवन आनंद पूर्वक व्यतीत करने लगा।
एक दिन वह अपने घर में बैठा था तभी उधर से जाती हुई एक गाड़ी उसने देखी गाड़ी में वस्त्र आभूषण से सुसज्जित राजकुमार बैठा था। उसे सेवक सुनहरा पंखा चला रहे थे। और सिर पर सुनहरी छतारी लगी हुई थी।
संगतराश के मन में आया कि काश मैं भी एक राजकुमार होता!
सोचने के देर थी कि पलक झपकते सब कुछ बदल गया। संगतराश राजकुमार बन गया था। सुनहरी गाड़ी में वह बैठा था और सेवक उसे सुनहरा पंखा चला रहे थे।
धन और स्वर्ण में संगतराश की आसक्ति बहुत बढ़ गई थी। उसे लगा कि उसके कठिन परिश्रम का फल उसे पर्वत वाली परी दे रही है। उसकी लालसा बढ़ती ही जा रही थी। उसने आसमान में सूर्य को देखा सूर्य की तेज गर्मी पर उसे बड़ा क्रोध आया, सूर्य कितने जोर का अपना प्रभाव दिखाता है। काश! मैं भी सूरज होता!
तभी आकाशवाणी हुई, “तुम्हारी इच्छा पूरी होगी तुम सूर्य हो जाओगे।”
और वह सूर्य बनकर अपनी शक्ति पर इतराने लगा। अपनी पूरी शक्ति से चमकने लगा। उसकी गर्मी से खेत और घर जल गए लोग त्राहि-त्राहि करने लगे तब बादल सूर्य के समक्ष आकर खड़ा हो गया अब संगतराश ने सोचा, अहा! इसका अर्थ है कि बादल मुझसे बड़ा है। कितना अच्छा होता कि मैं बादल होता!
तुरंत आकाशवाणी हुई तुम्हारी इच्छा पूरी हुई तुम बादल बन जाओगे। अब वह बादल बनकर सूर्य के समक्ष खड़ा हो गया और और अपनी शक्ति पर इतराने लगा। उसने वर्षा की झड़ी लगा दी। पूरा शहर राज्य जलमग्न हो गया सारी फसल बर्बाद हो गई। लोगों की परेशानी देखकर उसे अपनी ताकत पर गर्व होता था। बादल आगे बढ़ने लगे तो मार्ग में पर्वत आया। उसके मन में पुनः विचार आया ओह! यह पर्वत मुझसे अधिक शक्तिशाली लगता है काश! मैं पर्वत होता!
उसी पल पर्वत से आकाशवाणी हुई तुम्हारी इच्छा पूर्ण होगी। तुम पर्वत बन जाओगे।
तुरंत बाद विशाल पर्वत बन गया। अब वह गर्व से फूला नहीं समा रहा था क्योंकि संसार का सर्वोच्च पर्वत बन गया था और सभी छोटे जीव को रोक सकता था।
एक दिन उसने एक संगतराश को अपनी ओर आता देखा। उसने अपना बेलचा लेकर पहाड़ को तोड़ना प्रारंभ किया। पर्वत ने भयभीत होकर सोचा, यह व्यक्ति तो मुझे पर्वत से भी अधिक शक्तिशाली लगता। ओह! वह काश! मै मनुष्य होता!
पुनः आकाशवाणी हुई तुम्हारी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी। तुम मनुष्य बन जाओगे।
संगतराश ने राहत की सांस ली। उसने अपने साथ घटित सभी घटना पर विचार किया। और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि संगतराश का जीवन ही सर्वोत्तम है। उस दिन से वह फिर से पहले की भांति कठिन परिश्रम करने लगा और संतोषपूर्वक अपना जीवन यापन करने लगा।
अपने अनुभव को उसने अपने तक ही सीमित रखा और कभी कुछ और बनने की इच्छा भी नहीं रखी।
Moral story in hindi for every one ।। Moral story in hindi for friends
विजय और हर्ष एक अच्छे दोस्त है। वे दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते है। दोनों पढ़ने में बहुत अच्छे हैं। हर्ष और विजय एक ही गांव में रहते हैं। हर्ष एक संस्कारी लड़़का है, वह सदा बड़ो का सम्मान करता है और उनकी अज्ञा का पालन करता है। जबकि विजय चंचल स्वभाव का है। वह हमेशा बड़ो की बातो को टाल देता और कहता अभी नहीं किसी और समय कर लूंगा।
ऐसे ही एक दिन विजय घर पर था। अचानक से उसकी मां की तबीयत खराब हो गई। विजय की मां ने विजय को बुलाती हैं और कहती है विजय जाओ वैद्य को बुला लाओ। तब विजय कहता है, अभी मेरा खेलने का समय हो गया है और मेरे दोस्त मेरा बाहर इंतजार कर रहे हैं। यह कहकर विजय अपने दोस्तो के साथ खेलने चला जाता है।
उधर हर्ष पढ़ाई कर रहा होता है। और वह अपना होमवर्क पूरा करता है। तभी वह अपना एक पाठ याद करने जाता है और अपना कापी बैग में खोजता है तो उसे नहीं मिलता है। तभी उसे याद आता है कि उसका कापी तो विजय लिया है। तब हर्ष अपना कापी लेने के लिए विजय के घर जाता है।
और वह विजय के घर पहुंचता है तो देखता है कि विजय की मां ज्वर से पीड़ित हैं। तब हर्ष विजय की मां से पूछता है कि, विजय कहा गया? तब विजय की मा बोली, वह अपने मित्रो के साथ खेलने गया है। यह सुनकर हर्ष दुखी होता है। फिर हर्ष तुरंत ही विजय के पास जाता है।
वह विजय को खेल के मैदान से लाया और बोला, हे मित्र तुम्हारी माता ज्वर से पीड़ित हैं। तुम्हे उनकी सेवा करनी चाहिए। और तुम यह भूल गए जब तुम अगली बार बीमार थे तो तुम्हारी मां ने ही तुम्हारी सेवा की और तुम्हें वैद्य के पास ले जाकर दवा दिलाया जिससे तुम कुछ दिनों बाद स्वस्थ हुए।
क्या तुम नहीं जानते कि उपनिषद् में यह कहा गया है - माता देवतुल्य होती है। और उसमे यह भी कहा गया है। अभिवादनशील और नित्य बड़े लोगों की सदा सेवा करने वाले की आयु, विद्या, यश, और बल ये चार बढ़ते है।
अब जल्दी जाओ और शीघ्र ही वैद्य को लाओ। हर्ष की बात सुनकर विजय अपने किए पर शर्मिंदा होता है। फिर वह तुरन्त ही वैद्य को बुलाकर लाता है। वैद्य ने दवा दिया जिससे विजय की मा स्वस्थ हो गई।
सीख - सच्चा मित्र वहीं होता है जो हमारे गलतियों और कमजोरी को बताता है।
historical story in hindi ।। Small moral story related to science and technology in Hindi
यह कहानी है विश्व के महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की जिसके नाम पर से ही आज विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार नोबेल दिया जाता है।
एक बार एक लैब में प्रयोग करते समय नाइट्रोग्लिसरीन ब्लास्ट हो गया जिसमें अल्फ्रेड नोबेल के भाई की मौत हो गई। और जब अगली सुबह अल्फ्रेड नोबेल ने न्यूज़ पेपर पढ़ा तो वह शौक रह गए। क्योंकि उस पेपर में उनके भाई की मौत ना लिखकर अल्फ्रेड का नाम लिखा था। और उसमें यह भी लिखा था की, मौत का सौदागर मर गया।
दरशल अल्फ्रेड नोबेल ने ही डायनामाइट का आविष्कार किया था। इसका उपयोग चट्टानों को तोड़कर सड़क बनाया जाता था। लेकिन कुछ समय बाद इसका प्रयोग युद्ध के क्षेत्र में भी होने लगा जिसके कारण जान-माल की हानि होने लगी। इसलिए लोग अल्फ्रेड नोबेल को मौत के सौदागर के नाम से पुकारने लगे। यह अल्फ्रेड के लिए बड़ा आघात था। उन्होंने मन ही मन सोचा, क्या उनके मरने के पश्चात लोग उन्हें इसी नाम से याद करेंगे?
यह घटना उनके जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट हुआ। उसी दिन से डायनामाइट आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने विश्व शांति और समाज कल्याण के लिए काम करने लगे।
अल्फ्रेड नोबेल ने मृत्युपूर्व अपनी कुल संपत्ति उन लोगों को पुरस्कार देने के लिए दान दे दी, जो विज्ञान और समाज कल्याण के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करते हैं।
अल्फ्रेड नोबेल के नाम से ही हर वर्ष 10 दिसम्बर को अलग-अलग क्षेत्र में नोबेल प्राइज दिए जाते हैं। आज उन्हें मौत के सौदागर के रूप में नहीं, बल्कि एक महान वैज्ञानिक और समाज सेवी के रूप में लोग याद करते हैं।
Motivational story in hindi for students ।। Motivational story in hindi for class 5 students
यश और अनमोल दोनों एक अच्छे मित्र है। दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। और दोनों पढ़ने में बहुत अच्छे हैं। यश पढ़ने के साथ-साथ खेलों में काफी रुचि रखता है। वह एक अच्छा धावक है। उसने अपने स्कूल में बहुत से दौड़ प्रतियोगिता जीती है।
एक बार उसके जिले में एक दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। यश का चयन एक धावक के रूप में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। जबकि वह एक अच्छा धावक था, फिर भी वह घबराने लगा क्योंकि प्रतियोगिता काफी कठिन होगा। यश ने यह बात अपने मित्र अनमोल से कही, और उसने बोला कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले धावक मुझसे काफ़ी तेज़ दौड़ते होंगे। मै उन्हें कैसे हरा सकता हूं।
अनमोल ने यश को समझाते हुए बोला, हे मित्र तुम्हें असीम शक्ति है। तुम इस प्रतियोगिता को अवश्य जीत सकते हो। बस तुम्हें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। अभी देखो इस प्रतियोगिता को शुरू होने में एक हफ्ते का समय है। अगर तुम्हें जितना है, तो तुम्हें निरंतर अभ्यास करना होगा। निरंतर अभ्यास से ही तुम सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हो।
तुम हुसैन बोल्ड को ही ले लो, क्या वह पहली ही बार में 100 मीटर का दौड़ 9.58 सेकेंड में पूरा कर लिया होगा। नहीं, वह तो निरंतर अभ्यास से इतना अच्छा प्रदर्शन कर पाये होंगे।
तुम्हें भी पूरी मेहनत के साथ अभ्यास करना होगा तभी तुम इस प्रतियोगिता को जीत सकते हो।
अनमोल की बातों का यश पर गहरा प्रभाव पड़ा। अगले दिन से वह कडी मेहनत करने लगा फिर वह पूरी उर्जा और सकारात्मक सोच के साथ उस प्रतियोगिता में भाग लिया।
दस प्रतियोगिताओ में से यश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। अगले दिन सुबह की प्रार्थना सभा में प्रधानाचार्य ने यश की प्रशंसा कि और सभी बच्चों ने उसके लिए तालियां बजाई। यश के माता-पिता और अध्यापक ने उस पर गर्व महसूस किया।
सीख - दोस्तो हम सभी में असीम शक्ति है बस जरूरत है उस पहचानने की। यश ने अपने अंदर छिपे उस शक्ति को पहचाना जिसकी वजह से ही वह दौड़ में प्रथम प्राप्त किया। आप भी अपने अंदर छिपे उस काबिलियत को पहचाने सफलता अवश्य मिलेगी।
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