छोटे बच्चे जब स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाने शुरू करते हैं, तब वह उतने परिपक्त्व नही हुए होते है। इसलिए उन्हें अच्छी शिक्षा देने के लिए उनके अंदर अच्छे संस्कार का विकास करना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि वह इस छोटे से उम्र में बच्चो की मानसिक क्षमता इतनी विकसित नहीं हुई होती हैं। इसलिए खासकर बच्चों को अच्छी बाते और अच्छी शिक्षा देना बहुत ही जरूरी होता है। यह हमे कहा से प्राप्त हो सकता है, तो यह प्रेरणा कविता और प्रेरणा दायक कहानी से हमे मिल सकता है।
इसलिए आज हम बच्चो से जुड़ी प्रेरणा दायक कविता लेकर आए हैं। जो बच्चो का बौद्धिक क्षमता का विकास करेगा।
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मेहनत से घबराओ मत,
आलस मन लाओ मत,
कभी काम से जी मत चुराओ,
काम करो और आदर पाओ।
हंसना और हंसाना सीखो
कांटो में मुस्काना सीखो,
दुःख को भी सह जाना सीखो
ठीक समय पर तुम उठ जाओ।
ठीक समय पर पढ़ने जाओ,
लो मेरा यह कहना मान,
सदा समय का रखना ध्यान,
बत्ती लाल हुई रूक जाओ।
वाहन को झट ब्रेक अगाओ,
भैया मानो इतना कहना,
हरी जलेगी तब तुम चलना,
ध्यान लगाकर करो पढाई।
नही किसी से करो लडाई,
पढ़ लिख कर विद्वान बनो तुम,
भारत माता कि शान बनो तुम,
पूरी दुनिया में भारत का नाम करो तुम।
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पढाई से कभी तुम डरो नही, बस तुम उससे यारी कर लो।
परीक्षा तुमको खेल लगेगी, बस अच्छी सी तैयारी कर लो।
विषय कभी तुम रटो नहीं, समझ-समझ कर पढ़ा करो।
गहराई तक जब तुम पहुंचोगे, तभी आगे बढ़ा करोगे।
पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी, पर उससे पहले शिष्टाचार है जरूरी।
अनपढ़ की तो प्रगति ने हो, पर अशिष्ट का जीवन बेकार।
जैसे तन को रखते तुम, वैसे ही मन को तुम रखो साफ।
ग़लती करके क्षमा मांग लो, औरौ को भी कर दो माफ।
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पुस्तक में ही भरा है, असली ज्ञान।
पुस्तक का करना हमेशा सम्मान।
कभी ना तुम इसके पन्ने फाड़ो।
इस पर पड़ी धुल को झाड़ों।
चाहे जैसा युग आये।
पुस्तक की ही महिमा गाये।
पुस्तक को पढ़ विद्वान बने।
अपने देश की तुम पहचान बनो।
पुस्तक को करो तुम सत-सत बार प्रणाम।
पुस्तक ही होती है, हम विद्यार्थियों की शान।
पुस्तक पढ़ना ही है कर्म हमारा।
विद्या अर्पित करना ही है धर्म हमारा।
पुस्तक में ही भरा है असली ज्ञान,
पुस्तक का ना करना कभी अपमान।
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