दोस्तो लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमे क्या चाहिए। दृण इच्छाशक्ति, धैर्य और आत्मविश्वास ही हमे अपने लक्ष्य तक पहुंचाती हैं। दोस्तो जब भी हम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते तो हमारे सामने कई सारी समस्याएं आती हैं। ऐसे में हमारे अंदर ऊर्जा की कमी होने लगती हैं। तब हमे चाहिए कि सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं। और यह हमे प्रेरणा दायक कहानी से मिल सकती हैं। दोस्तो आज हम आपको लिए ऐसे ही प्रेरणा दायक कहानी लेकर आए हैं। जो आपको एक नई दिशा देगी।
Short Motivational Story in Hindi for Success ।। Success motivational story in hindi for students ।। Success story in hindi
यह कहानी है जापान की जूते और चप्पल (shoe) बनाने वाली एक कंपनी की। इस कंपनी का जूता और चप्पल पूरे जापान में खूब बिकता था। इसलिए कंपनी के मालिक ने और भी देशों में अपने जूते और चप्पल का व्यापार शुरू करने की सोची।
तब कंपनी के मालिक ने अपने एक मैनेजर को साउथ अफ्रीका देश एक शहर में भेजा, यह पता करने के लिए वहा का मार्केट कैसा है। फिर वह मैनेजर अफ्रीका के एक शहर में गया, और देखा कि यहां के लोग बिना चप्पल और जूते के ही रहते है।
फिर उस मैनेजर ने अपने मालिक को फोन किया। और पूछा की यहा पर क्या करने जा रहे हैं। तब मालिक बोला, वहा पर करोड़ों का प्लांट लगाना है, फिर मालिक ने पूछा उस देश में क्या हाल है।
फिर मैनेजर बोला कैंसिल करिए अपना यह प्रोजेक्ट नही तो आपका सारा पैसा डूब जाएगा। यहां तो किसी को जरूरत ही नही है। क्योंकि यहां तो कोई जूता और चप्पल पहनता ही नही।
फिर वह मालिक ने उस मैनेजर को वापस बुला लिया। इसके बाद मालिक ने एक दूसरे मैनेजर को उसी देश भेजा। वह मैनेजर गया और सारे हालत को देखा। उसने भी यही देखा की यहां पर रहने वाले किसी भी लोगों के पैरो में जूते और चप्पल नही है।
फिर मैनेजर ने अपने मालिक को फोन किया। मालिक बोला क्या हाल है, तब मैनेजर ने पूछा की एक करोड़ का फैक्ट्री लगाने वाले हैं ना, मालिक बोला हां। फिर मैनेजर बोला एक करोड़ नही बल्कि, पांच करोड़ का फैक्ट्री लगा दीजिए, मालिक बोला मतलब! फिर मैनेजर बोला अरे यहां तो किसी के पास जूते और चप्पल है, ही नही सबको इसकी आवश्यकता है। सब आपके जूते और चप्पल खरीदेंगे।
फिर वह मालिक उस देश में अपना एक कारखाना खोलता है। और वहां उसकी कंपनी में बनाए गए जूते और चप्पल खूब बिकने लगता है।
सीख - दोस्तो स्थान एक ही था। पर एक मैनेजर को वहा पर कोई लाभ नहीं दिखाई देता। जबकि दूसरे मैनेजर को उसी स्थान पर उसे अच्छा मुनाफा समझ में आता है। इसलिए कहा गया है कि “ एक निराशावादी व्यक्ति हर अवसर को समस्याएं के रूप में देखता है, जबकि आशावादी व्यक्ति हर कठिनाई को एक अवसर के रूप में देखता है।”
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