नमस्ते दोस्तों स्वागत है हमारे ब्लॉग पर दोस्तो आज हम आपके लिए प्रकृति से जुड़ी एक कविता लेकर आया हूं। दोस्तो प्रकृति हमसे बिना कुछ लिए बिना किसी स्वार्थ के बाद देना जानती हैं। चाहे फल-फूल या ऑक्सीजन प्रकृति बिना किसी भेदभाव के सभी को एक समान बस देती जाती हैं। दोस्तो हमें भी प्रकृति से सीखना होगा। तभी इस संकट के समय हम मानवता की सेवा कर सकते हैं।
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खिलो फूल से क्योंकि कभी वे
अपने लिए नहीं खिलते हैं।
फलों वृक्ष से क्योंकि कभी वे
अपने लिए नहीं फलते है।
प्यासे जग की प्यास बुझाने
बादल जल भर-भर लाते हैं।
सीखो उनसे वे कैसे
औरो के हित में मिट जाते हैं।
पर हित के लिए देह
धारण करते हैं सज्जन प्राणी।
वृक्ष स्वयं न कभी फल खाते
नदियां स्वयं न पीती पानी।
जंगल-मंगल हित जीने वाले
का मस्तक ऊंचा करता है।
दीपक की स्वर्णिम लौटा का रुख
कभी नहीं नीचे झुकता।
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