A poem related to natural in Hindi ।। A poem on my imagination in hindi
नमस्ते दोस्तों स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज हम आपके लिए एक और कविता लेकर आए हैं। दोस्तो हम सभी के जीवन में एक चाहत होती हैं। सभी लोगों को अपने उस रुचि को पाने की चाहत होती हैं। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही कविता लाए हैं। दोस्तो मेरा चाहत है कि एक मेरा घर हो और वह प्राकृतिक के बीच में हो वहां न सोर हो, और ना ही प्रदुषण हो, वहां पेड़-पौधों हो और पक्षियों का कलरव हो ऐसा मेरा घर हो। दोस्तो इसी पर एक कविता आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
पेड़-पौधों की हरियाली में,
गंगा नदी के किनारे में,
हो मेरा एक छोटा सा घर।
सूरज के उजियालों में,
फूलों से घिरे गलियों में,
हो मेरा एक छोटा सा घर।
पंक्षी के कलख के बीच,
हवा में झूमती लताओं के बीच,
हो मेरा एक छोटा सा घर।
अशांति फैली वातावरण से दूर,
प्रदूषण फैली स्थालो से दूर,
हो मेरा एक छोटा सा घर।
पहाड़ों से घिरे एक वन में,
सुंदर फूलों वाले उपवन में,
हो मेरा एक छोटा सा घर।
बस! यही है मेरा काल्पनिक घर,
जो कभी ना होगा साकार,
ऐसे स्थल अब कहां मिलेंगे,
जहां मिले यह सारे गुण।
प्रकृति के सारे वरदान,
नष्ट कर दिए हम इंसान।
दोस्तो अगर यह कविता आपको पसंद आया हो तो इसे और लोगो को शेयर जरूर करें जिससे यह प्राकृतिक सी जुड़ी यह कविता और लोगो तक पहुंच सके। धन्यवाद!
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