नमस्ते दोस्तो स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज हम आपके लिए चतुर बीरबल की प्रेरणा दायक कहानी आपके साथ शेयर कर रहा हूं। दोस्तो बीरबल, बादशाह अकबर के दरबार एक प्रमुख सलाहकार के रूप में थे। बादशाह के पास जब भी कोई समस्या आती तो उसका समाधान बीरबल ही करता था। तो आज हम ऐसे बीरबल की बुद्धिमत्ता वाली कहानी आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूं। आशा करता हूं कि यह आपको ज़रूर पसंद आयेगा।
बादशाह अकबर और फलवाले की कहानी - Akbar and birabal story in hindi
एक सुबह राजा अकबर अपने महल के झरोखे में खड़ा था। तभी उसी समय एक फल वाला रास्ते से गुजरा। अकबर की नजर फल वाले पर पड़ी। फलवाले ने बादशाह को सलाम किया, फिर वहां से आगे बढ़ गया।
फिर इसके बाद अकबर दरबार में जाने के लिए तैयार हुआ। तभी उसे समाचार मिला कि उसके पत्नी का भाई दुर्घटना में घायल हो गया है। इसलिए अकबर दरबार में न जाकर अपने साले से मिलने चला गया। फिर लौटते समय सीढ़ियों पर चढ़ते समय वह फिसल गया और उसके पैर में मोच आ गई। पैर में पट्टी बंधवाकर अकबर दरबार में पहुंचा। उस दिन बीरबल दरबार में नहीं आया था। इसलिए कोई काम नहीं हो सका।
उबकर अकबर अपने महल लौट गया और आराम करने लगा। तभी उसे जरा सी झप्पी आई कि, उसकी बेगम उन्हें खाने के लिए बुला दी। आज अकबर का भोजन करने का मन नहीं था, फिर भी वह भोजन करने के लिए बैठा। जैसे वह पहला ग्रास मुंह में डाला कि अचानक उसकी थाली में एक मक्खी गिर गई। जिससे वह खाना छोड़ कर खड़ा हो गए। और इस बात पर बेगम से उस उनकी कहासुनी हो गई जिससे उनकी बेगम नाराज हो गई। फिर दिन बीत गया शाम का समय था अकबर छत पर बैठकर सोच रहा था कि, आज से पहले मेरा दिल इतना खराब नहीं गया था। पता नहीं किसका मुंह देखा था, तभी उसे याद आया कि आज सुबह तो उस फेरी वाले को ही सबसे पहले देखा था। जिससे मेरा पूरा दिन खराब गया।
अगले दिन अकबर ने सैनिकों को यह आदेश दिया कि उस फल वाले को पकड़कर दरबार में लाया जाए। अकबर ने सभी दरबारियों को बताया कि कल सुबह इस फल वाले का ही मुंह देखा था जिससे मेरा पूरा दिन खराब गया था इसलिए मैं इसे फांसी का सजा सुनाता हूं।
फल वाले ने बीरबल से मिलने की अनुमति मांगा। अकबर ने उसे आज्ञा दे दी। बीरबल ने उसकी बात सुनकर उसे बताया कि फांसी के दिन तूमसे जल्लाद तुम्हारी अंतिम इच्छा पूछेगा। तब तुम बताना कि एक सुबह बादशाह ने मेरा मुंह देखा था, इसलिए उन्हें कुछ तकलीफ उठानी पड़ी। लेकिन उसी दिन मैं भी उनका मुंह देखा था, इसलिए आज मुझे फांसी पर चढ़ना पड़ रहा है।
आप जाकर दरबार में बादशाह, दरबारी और नगर के सभी जनता को मेरा यह संदेश पहुंचा दीजिए कि अब से सुबह के समय कोई बादशाह का मुंह है ना देखें नहीं तो उसे भी मेरी तरह फांसी पर चढ़ना पड़ सकता है।
फल वाले की बात सुनकर जल्लाद चिंता में पड़ गया। कैदी की अंतिम इच्छा पूरी किए बिना उसे फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। इसलिए जल्लाद ने बादशाह के पास गया। और उन्हें वहां की सारी बातें बता डाली। बादशाह ने फलवाले को तुरंत बुलाया।
फलवाले को दरबार में लाया गया। अकबर ने उससे कहा, मै समझ गया, बीरबल के सलाह से ही तुम इतनी समझदारी की बात किए हो। वाकई मुझसे अन्याय हो रहा था। मै तुम्हारी सजा माफ़ करता हूं।
बादशाह अकबर ने फलवाले को कुछ धन भेंट में दी। फलवाला खुश होकर अपने घर गया। एक निर्दोष का प्राण बचाने के लिए बादशाह अकबर ने बीरबल का बहुत आभार माना।
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